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जीवन के सफलता मे अपने लोग।

Pankaj Singh July 11, 2023
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Writer : Pankaj Singh

पुरा हाल भरा हुआ था, एक तरफ छात्रो को बैठाया गया था तो दूसरी तरफ उनके अभिभावक बैठे हुए थे । मंच पर कॉलेज के अध्यापक, प्रधानाचार्य और कुछ बड़े औधे वाले कर्मचारी बैठे हुए थे । मंच और पुरा हाल सजा हुआ था सब खुस थे, सारे छात्रो और अभिभावकों के चेहरो पर मुस्कान था । क्योंकी आज छात्रो के सनातक पूरे हो चुके थे , आज छात्रो को प्रमाणपत्र दिया जाने वाला था और साथ मे आज ही उनका फेरवल पार्टी भी होना था ।

तभी कॉलेज के प्रधानाचार्य माइक के सामने आए और सभी छात्रो को बधाई संदेस दिए । फिर प्रमाणपत्र वितरण सुरू हुआ । प्रमाणपत्र वितरण के बाद प्रधानाचार्य ने घोषणा किया की आज सभी उत्तीर्ण किए हुए छात्रो के लिए एक सरप्राइस इवेंट भी रखा गया है, जो की इस इवेंट मे अपने नए प्रॉडक्ट को लॉंच करने वाले है । जो भी छात्र उस इवेंट के चुनौतियों को निर्धारित समय मे पुरा करेगा उसे 5 लाख रुपये इनाम दिया जाएगा साथ मे युनिवेर्सिटी के मैगजीन मे उसका फोटो भी छापा जायेगा और आज शाम वो अपने बाहर के किन्ही चार लोगो के साथ फेरवल जश्न का शाम बिता सकता है ।

फिर सभी छात्रो और अभिभावकों को अलग अलग गाड़ियों मे दूर एक बड़े से सीधी पहाड़ के नीचे ले जाया गया । छात्रो ने जब उस पहाड़ को देखा तो आश्चर्यचकित रह गए। सब सोच रहे थे की हमे येहां क्यों लाया गया है। तभी एक एनाउंसर आता है और माइक मे कहता है, ये एक चुनौतीपूर्ण स्पर्धा है जिसका जानकारी आपके परिवार और अभिभावकों को पाँच दिन पहले से दे दिया गया था, इस स्पर्धा मे जो भी छात्र हिस्सा लेना चाहता है उसे इस ऊंची सीधी पहाड़ के ऊपर दो घंटे मे पहुचना है। और शर्त सिर्फ इतना है कि आपको पहाड़ चढ़ने वाले जो औज़ार लगेंगे वो सिर्फ आप अपने अभिभावक से ले सकते है। हमारे तरफ से आपको किसी भी प्रकार का मदद या सामग्री नही दिया जायेगा।

पहाड़ कि ऊंचाई देख कर आधे से ज्यादा छात्रो ने डर के मारे चढ़ने से माना कर दिया। सिर्फ 57 छात्र ऐसे थे जो जोश के साथ चुनौती को स्वीकार किया।

लेकिन ये कहानी उन 57 मे से वो तीन छात्रो का है जिनका इस एवेंट के बाद जीवन बदल गया। वो तीन छात्र थे अजय, कार्तिक, और रोहन। स्पर्धा सुरू होने वाला था और नियम के अनुसार सभी अपने अभिभावक के पास औज़ार और सामाग्री लेने पहुंचे।

सबसे पहले रोहन गया, स्पर्धा को लेकर रोहन बहुत ही आत्मविसवासी दिख रहा था, अभिभावक मे उसके माता और पिता दोनों आए थे, चूंकि रोहन उनका एकलौता बेटा था, पिता ने रोहन के लिए माउंटेन ट्रेकिंग के सारे उपकरण लाये थे, जूते, रस्सी, हुक, ड्रेस किसी भी चीज का कमी नहीं रखा। ये सामाग्री देते हुए रोहन के माता पिता ने रोहन से सिर्फ इतना कहा कि बेटा हमारा आशीर्वाद हमेसा तुम्हारे साथ है, चाहते है कि तुम इस स्पर्धा को जीतो लेकिन अगर कामयाब नहीं हुए तब भी मायूष मत होना, आगे और भी मौके मिलेंगे। रोहन जवाब देता है चिंता मत करिए मै कामयाब होकर ही रहूँगा और ट्रेकिंग के सारे सामाग्री लेकर चला जाता है ।

कार्तिक मन मे हजार सवाल लिए अपने अभिभावक के पास गया। कार्तिक के अभिभावक दूर दक्षिण से आए हुए थे, पिता का देहांत हो चुका था, माता थी, एक बड़ा भाई था और एक छोटी बहन थी। कार्तिक का परिवार माध्यम वर्ग का था। कार्तिक सोच रहा था की क्या उसका परिवार माउंटेन ट्रेकिंग के औजारो का खर्च उठा पाएगा या नहीं। लेकिन जब वो अपने परिवार से मिला तो देखा की उसके भाई, माता और बहन ट्रेकिंग के सारे समग्रियों के साथ खड़े थे और बड़े जोश के साथ कार्तिक का हौसला बढ़ा रहे थे। कार्तिक भी हल्की मुस्कराहट के साथ ट्रेकिंग के सामग्री लेकर चला गया।

फिर अजय खुश मुद्रा मे अपने परिवार के पास गया, उसके परिवार मे सिर्फ उसके दो बड़े भाई थे और उनके पत्नी और बच्चे थे। माता पिता दोनों का देहांत दो साल पहले हो चुका था। पिता ने अपने बच्चो के लिए अच्छी ख़ासी जायदाद छोड़ कर गए थे। जायदाद के आमदनी पर सारा परिवार का भरण पोषण चलता था। लेकिन जायदाद इतना था की कभी किसी को कोई कमी नहीं पड़ा। जब अजय ने अपने परिवार से मिला तो परिवार ने कहा चलो घर चलते है तुम्हारा पढ़ाई भी पुरा हो गया है घर आकर कुछ काम धंधा सुरू करो।

अजय ने कहा मै आगे और पढ़ना चाहता हूँ, और इस स्पर्धा मे भी हिस्सा लेना चाहता हूँ, कृपया ट्रेकिंग के समान मुझे दे। बड़ा भाई ने जवाब दिया हमारे पास आगे पढ़ाने के पैसे नहीं है और न ही इस फालतू के ट्रेकिंग स्पर्धा के लिए पैसे है, वैसे भी पहाड़ बहुत ऊंचा है तुम सफल नहीं हो पाओगे।

अजय को ये जवाब सुनकर बहुत दुख हुआ, फिर अजय उनसे निवेदन करने लगा और कहा मै जरूर सफल हुंगा कम से कम ट्रेकिंग के जूते और दस्ताने तो दिलवादे, अभी भी समय है आप खरीद कर ला सकते है। लेकिन उसके भाइयों ने अजय का एक भी बात नहीं माना और कहा तुम आते हो या हम जाये !?

अजय को बहुत दुख हुआ लेकिन अजय उस स्पर्धा मे हिस्सा लेना चाहता था, उसे येकिन था की वो सफल हो सकता है, लेकिन उसे अपने परिवार से किसी भी प्रकार का मदद नहीं मिला। फिर अजय स्पर्धा मे बिना समग्रियों के ही हिस्सा लेने का फैसला किया जो कि कठिन के साथ जोखिम भरा भी था। पहले उसे इसका मंजूरी नहीं मिला लेकिन बार बार अनुरोध करने पर कॉलेज के तरफ से मंजूरी मिल गया।

स्पर्धा सुरू हुआ, सभी जोश के साथ पहाड़ चढ़ना सुरू किए, उनके अभिभावक भी नीचे से उनका मनोबल बढ़ा रहे थे। पहाड़ चढ़ने मे ट्रेकिंग औजारो के अभाव मे अजय को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था, उसे चोटे भी लग रहा था लेकिन वो हिम्मत के साथ पहाड़ को चढ़ रहा था।

समय समाप्त हुआ, कुछ छात्र सफल रहे तो कुछ असफल, उनमे से रोहन, कार्तिक और अजय तीनों स्पर्धा मे सफल हुए। सफल छात्रो को आदर के साथ उनके टेंट मे ले जाया गया, उनके टेंट बड़े थे और टेंट मे ही जश्न का आलीशान इंतेजाम किया गया था। उन्हे उनके कुर्सी पर बैठाया गया, उनके हाथो मे पाँच लाख का चेक दिया गया और उनसे पूछा गया कि आप अपने खुसी मे किसे शामिल करना चाहते है।

जब येही सवाल रोहन, कार्तिक और अजय से पूछा गया तब रोहन ने जवाब दिया वो अपने जश्न मे अपने प्रेमिका और तीन दोस्तो को शामिल करना चाहता है। कार्तिक ने जवाब दिया वो अपने जश्न मे अपने माता, बड़े भाई और छोटी बहन को शामिल करना चाहता है। जब अधिकारी अजया के पास आए तो उन्होने देखा कि अजय टेंट मे कुर्सी पर बैठकर अपने लगे जख्मो को पोछ रहा था, उसके चेहरे पर दर्द साफ झलक रहा था। लेकिन अधिकारियों ने अजय से भी वही सवाल पूछा, अजय कुछ देर सोचने के बाद जवाब दिया उनका अपना कोई नहीं है वो खुद भी जश्न मे शामिल नहीं होना चाहता वो सिर्फ विदा लेना चाहता है, ये कहकर ही वो वहाँ से चला गया।

पहाड़ के नीचे रोहन और कार्तिक का परिवार खड़ा था, अजय का परिवार वापस चला गया था। तभी कुछ लोग आए और कार्तिक के परिवार को एक बड़े आलीशान गाड़ी मे जश्न के लिए ले गए, तभी रोहन के माता पिता ने रोहन के बारे मे पूछा तो उन्होने बताया कि रोहन स्पर्धा मे सफल हो गया है लेकिन अभी तक आप लोगो को जश्न मे नहीं बुलाया है। रोहन के माता पिता ये बात सुनकर खुश हुए और इंतेजर करने लगे कि कोई गाड़ी आयेगा और उन्हे भी ऊपर रोहन के पास ले जायेगा। लेकिन घंटो बीत गया कोई गाड़ी नहीं आया वहाँ ऊपर रोहन अपने प्रेमिका और दोस्तो के साथ शराब के नशे मे सब कुछ भूलकर जश्न मे मदहोश था। और कार्तिक अपने परिवार के साथ शालीनता के साथ जश्न माना रहा था।

बहुत रात हो गयी थी, नीचे रोहन के माता पिता अभी भी इंतेजर मे खड़े थे, वहाँ खड़ा एक कर्मचारी उनके पास आया और उनसे कहा, चाचाजी अब कोई नहीं आयेगा, जश्न मे आपके बेटा ने आपको मंत्रित नहीं किया है, बहुत रात हो गया है इंतेजर करना व्यर्थ है आप लोग घर चले जाइए, सुबह आपका बेटा जरूर घर आ जायेगा। माता पिता को भी बात समझ मे आया और दुखी मन के साथ घर वापस चले गये।

सुबह हुआ, सभी छात्र अपने परिवार के साथ अपने अपने घर चले गये, जश्न के बाद रोहन भी अपना घर वापस आ गया। लेकिन उसके माता पिता रात को ही एक सख्त फैसला कर लिए थे। रोहन के पिता ने रोहन से कहा, तुम बालिग हो चुके हो और हमने भी तुम्हें पढ़ा लिखा दिया है, अपना ज़िम्मेदारी पुरा कर चुके है। अब तुम अपना रास्ता खुद ढूंढ लो, अब हम आगे कि जिंदगी अपने लिए जीना चाहते है अब तुम इस घर मे नहीं रह सकते। ये सुनकर रोहन को झटका लगा, वो जिद्द करने लगा, और पूछने लगा आप ऐसे कैसे कर सकते हो, मै आपका एकलौता बेटा हूँ। लेकिन रोहन के माता पिता अपने फैसले पर अडिग थे।

आखिरी मे रोहन झल्लाते हुए बाहर चला गया और अपने माता पिता से चिल्लाते हुये कहा कि मेरे पास पाँच लाख रुपये है, मै अपने आपको संभाल सकता हूँ, आगे आप लोग ही पछताओगे।

कार्तिक जश्न के बाद अपने अपरिवार के साथ वापस अपने घर हसी खुसी के साथ चला गया, और अजय उसके बाद कहाँ गया किसी को पता नहीं और उसके परिवार ने भी कभी पता करने का ज्यादा प्रयास नहीं किया।

15 साल बीत चुके थे, कार्तिक एक प्राइवेट कंपनी का CEO बन चुका था, वो अपनी पत्नी और 6 साल कि बेटी के साथ संयुक्त परिवार मे रह रहा था। वो घर मे बैठा ही था तभी TV पर अजय का इंटरव्यू चल रहा था। अजय को देखते साथ वो पहचान गया। तभी इंटरव्यू मे अजय से सवाल पूछा गया कि जीवन मे उसके सफलता मे किसका सबसे ज्यादा योगदान है?, अजय हल्का सा मुस्कुराया और उसने जवाब दिया …

“मै अपनी जिंदगी मे दो बार सफल हुआ हूँ, एक बार तब जब मै अपने कॉलेज के आखिरी दिन मे एक स्पर्धा मे हिस्सा लिया था, तब मै अपेछा कर रहा था कि मेरे अपने मेरा साथ देंगे, लेकिन किसी ने साथ नहीं दिया, तब मै खुद अपने मंजिल तक पहुचने का फैसला किया और पहुंचा भी, लेकिन सफलता के संघर्स मे मै चोटिल हो गया था मंजिल पर पहुँच कर भी सफलता का आनंद उठाने का बजाय मै अपने जख्म साफ कर रहा था। तब मुझे अहसास हुआ कि मै अपनी जिंदगी खुद बदल सकता हूँ, कोई मेरे लिए बदल कर नहीं देगा। और दूसरी बार आज जब मै जिंदगी मे पूरी तरह से कामयाब हूँ, इस संघर्स मे भी अकेला ही था लेकिन मेरी कामयाबी पर पूरी देश का निगहे टिकी हुई है और साथ मे मेरी पत्नी और मेरा बेटा है। “

इतना कहते ही अजय विदा लेकर चला गया, अजय देश के प्रसाशन मे बहुत बड़े औधे पर था। और ये इंटरव्यू देख कर कार्तिक अपने परिवार को देखा, जहां उसका परिवार हसी खुसी के साथ था, माताजी थी, भैया थे, भाभी थी, उनके बच्चे थे जो हसी खुसी के साथ खेल रहे थे। कार्तिक ये देखकर सोचने लगा, मेरे  परिवार के समर्थन के वजह से जिंदगी मे मुझे कभी कोई जख्म नहीं लगा, कभी किसी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ा।

अजय का वो इंटरव्यू तीन लोग और देख रहे थे, एक रोहन जो उस स्पर्धा के बाद बर्बाद हो गया था, उसके बरबादी को देख उसके प्रेमिका और दोस्तो ने भी साथ छोड़ दिया था। आज वो एक चौकीदारी का नौकरी कर रहा है, नशे का आदि हो चुका है। वो अजय का इंटरव्यू देख नम आंखो से सोच रहा था कि काश उस दिन स्पर्धा मे सफल होने के बाद अपने दोस्तो को महत्व देने के बजाय अपने माता पिता को दिया होता तो आज उसका जीवन कुछ और होता, वो जीवन मे सफल होता और अपने परिवार के साथ होता।

वहीं उस इंटरव्यू को रोहन के माता पिता भी देख रहे थे, इंटरव्यू के बाद रोहन के माता ने पूछा क्या हमने उस स्पर्धा के बाद जो फैसला लिया वो सही था। तब पिता ने कहा, हाँ बिलकुल सही था अगर बच्चो के नजरों मे माता पिता का महत्व और सम्मान न हो तो उनके साथ रहना कठिन भरा होता है। वो कभी भी अपने जिंदगी से अपने माता पिता को बेइज्जत करके निकाल सकते है, तब हम अपने आपको संभाल भी नहीं पाएंगे।

साथ मे अजय का इंटरव्यू अजय का परिवार भी देख रहा था, जिन्होने अजय का कभी साथ नहीं दिया अजय को TV पर देख अजय का परिवार उत्साहित हो गया और सोचने लगा अजय तो इतना बड़ा आदमी बन गया है। अजय के बड़े भाइयो ने सोचा कि अजय के रुतबे का फायदा उठाकर अपना जीवन सुधारेंगे। एक दिन उसका परिवार अजय से मिलने भी गया, लेकिन अजय का रुतबा इतना बड़ा था कि बिना इजाजत के चौकीदार ने उन लोगो को रोक दिया, और मिलने नहीं दिया। जब उन्होने अपना परिचय दिया तो चौकीदार ने हस कर जवाब दिया कि हर चार दिन मे अजय साहब का कोई न कोई रिसतेदार बनकर मिलने आता है। हम जानते है कि उनका कोई रिसतेदार नहीं है, जो परिवार है वो अजय साहब के साथ ही रह रहा है जो कि उनकी पत्नी और बेटा है।

ये सुनकर सब वापस गाँव आ जाते है, और किसी को कुछ नहीं बताते है कुछ दिनो तक गाँव मे अजय का नाम लेकर सेखी बघार रहे थे लेकिन गाँव के एक व्यक्ति ने 15 साल पहले वाली घटना के बारे मे जब गाँव वालो को बताया तब दोनों भाइयों को पूरे गाँव के सामने सरमिंदा होना पड़ा।

असल जीवन मे भी ऐसे ही होता है, या तो आपका अपने लोग आपके साथ हमेसा खड़े होते है जैसा कार्तिक का परिवार था जिस कारण कार्तिक को कभी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ा।

या फिर आप अपने जीवन मे अपने लोगो को पहचानने मे असफल होते है, और अपने जीवन मे अपने लोगो को महत्व देने के बजाय गैरो को महत्व देते है, जैसे रोहन ने किया। तब आपका जीवन बर्बाद होना तय है, क्योंकि एक तो आप अपनो को खो देते है और दूसरा जिसे अपना माना होता है वो आपके बुरे समय मे आपको छोड़कर चले जाते है।

या फिर आपका परिवार अजय के परिवार जैसा मतलबी हो, तब आपको अपने जीवन मे बड़े संघरसों का सामना करना पड़ता है। अगर कामयाब हो भी गये तब भी संघर्स के जख्म बने रहते है। तब सबसे अच्छा येही होता है कि अपने जीवन से मतलबी लोगो को दूर कर दे और अपनों को शामिल करे जैसा अजय ने किया।

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